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बाबा निर्मल दास जी महाराज

लक्ष्मण डूंगरी की पहाडि़यां संतो और ऋषि मुनियो की तपो भूमि रही है | मानना है 300 वर्ष पूर्व हनुमान जी के परम भक्त बाबा निर्मल दास जी महाराज जिन्हे बाबा न र व र दास जी भी कहा जाता है, यात्रा करते हुए यहाँ आये और यहाँ का वातावरण और प्राकृतिक शोभा को देख यहीं रम गये | उन्होंने यहाँ एक पहाड़ी की चट्टान पे संजीवनी पर्वत हाथ में लिए हनुमान जी की मूर्ति उत्तीर्न कर अथवा करवाकर पवनपुत्र की साधना आरंभ की | निर्मल दास जी के देवलोक गमन पश्चात ये तपो भूमि विस्मृत हो गई |

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पं. श्रीराधेलाल जी चौबे की यात्रा

श्री न र व र आश्रम सेवा समिति मन्दिर श्री खोले के हनुमान् जी के संस्थापक त्यागमूर्ति तपोनिष्ठ, परम श्रद्धेय श्री राधेलाल जी चौबे का जन्म जयपुर में कार्तिक शुक्ल द्वादशी (व्यञ्जन द्वादशी) सम्वत् 1986 तद्नुसार दिनांक 14 नवम्बर 1929 को हुआ। 9 अगस्त 1961 को हनुमान भक्त श्री राधे लाल जी चौबे अपनी मित्र मंडली के साथ ठंडाई छानने की गरज से लक्ष्मण डूंगरी आये | इस प्यारनुमा घाटी में उनको हनुमान जी की संजीवनी हाथ में लिए छवि का एहसास हुआ, तभी वहां बैठे एक चरवाहे ने बताया कि यहां पर हनुमान जी हैं, उसके बाद चौबे जी और मित्र मंडली ने झाड़ झनकार हटाया तो धूल धुसरित चट्टान में सिन्दूर लगी हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन हुए| 'पर्वत पाहन पापड़ा, नर वानर आकार। प्रकटा बीहड़ खोल में, हनुमत तन साकार' | संयोग वश उस दिन तुलसी दास जी की जयंती भी थी मित्र मंडली के साथ मिलकर चौबे जी ने तुलसी जल एवं चोला भी चढ़ाया | उस दिन के बाद चौबे जी गृहस्थी छोड़ राम भक्त हनुमान जी की सेवा में लग गए | उसके बाद चौबे जी एवं उनकी मित्र मंडली ने एक छप्पर और कच्चे रास्ते का निर्माण किया | उसके बाद दानदाताओं एवं मित्रो से संयोग प्राप्त कर निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ | पानी की टंकी वाली पहाड़ी से लोगों का आह्वान कर आश्रम तक लाना, वहाँ रसोई बनाने के लिए सामान बर्तन, छाने एवं पानी व अन्य सुविधा उपलब्ध कराना, उनकी पर्याप्त सेवा करना आदि से दस-बीस लोगों को जोड़ना शुरू किया। प्रारम्भ में मन्दिर में एक रजिस्टर रहता था, जिसमें आने वाले भक्तजन अपना नाम-पता इन्द्राज करते थे। इससे पता चलता था कि किसी दिन 10, किसी दिन 15, मंगलवार के दिन 100-150 भक्तजन दर्शन लाभ उठाते थे | बाबा की पूजा होने लगी। कुछ दिनों बाद पास में ही एक मुस्लिम फकीर भी आकर रहने लगा। शुरूआत में तो यहाँ पर आने वालों पर नाराज होता लेकिन बाद में वह किसी के भी आने पर प्रसन्नता जताता। आज भी वहां अन्नकूट महोत्सव के दिन गाजे बाजो के साथ मंदिर की तरफ से अन्नकूट का भोग एवं चादर भेंट की जाती है| देशी खेलों के प्रति समर्पित रहे श्री राधेलाल चौबे जी के सान्निध्य में वर्ष 2009 में अन्तर्राज्यीय स्तर की कबड्डी स्पर्धा का मन्दिर परिसर में आयोजन कराया। चौबेजी प्राणपण से आयोजन को सफल बनाने में जुटे। इस आयोजन के समापन के पश्चात् वे बीमार हो गए और 5 जनवरी 2010 को श्री खोले के हनुमान जी की शरण में ही ब्रह्मलीन हो गए। मंदिर के स्थापना से गत 60 सालों में मंदिर का जो भी विकास किया गया है उसके लिए चौबे जी महाराज अविस्मरणीय रहेंगे और आज भी उनकी कृपा प्रसाद (आशीर्वाद) से मंदिर का विकास हो रहा है|

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राममन्दिर-निर्माण

श्री हनुमान् मन्दिर के शिखर पर भव्य राममन्दिर-निर्माण की योजना बनाई। यह एक बृहद् योजना थी, यह अधिक बजट का कार्य था, किन्तु चौबे जी की कल्पना और इच्छाशक्ति के साथ निर्माण होने तक अन्न का त्याग कर दिया और देवता को विनय पूर्वक निवेदन किया कि अब राममन्दिर निर्माण के पश्चात् ही अन्न ग्रहण करूँगा। हनुमान् जी ने भक्त की लाज रखी। कल्पना के अनुरूप ही कार्य पूर्ण किया | राममन्दिर का शिलान्यास 16 दिसंबर 1991 एवं प्राण-प्रतिष्ठा 8 जून 1997 को सम्पन्न हुई । इसको साकार करने में चौबेजी भी पीछे नहीं रहे, उन्होंने पुश्तैनी जायदाद में से जमीन भी बेच दी लेकिन निमार्ण कार्य के दौरान करणी नहीं रुकने दी। सियाराम मन्दिर की प्राण-प्रतिष्ठा के समय समिति की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं थी, फिर भी समिति के सदस्यों ने अपने बूते के हिसाब से सहयोग की घोषणा की। चौबे जी ने घोषणा की कि समारोह में कोई भी कमी नहीं आने दी जाए। जो भी पैसा कम पड़े, मेरे नाम लिख दो और उसके फल स्वरूप सात दिन का पूर्व घोषित समारोह एक माह तक चला।

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सरकार का योगदान

कई राजनीतिक एवं सामाजिक हस्तियों का बाबा के प्रति लगाव खोले के विस्तार का माध्यम बना | भारत के उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह जी शेखावत एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के प्रयासो के चलते जयपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा मंदिर के विस्तार के लिए 27 करोड़ का खर्च किये गये | इसमे मुख्य द्वार, सड़क, गौशाला का विस्तार, पारम्परिक छतरियां, प्याऊ, पौधरोपण, रसोईयों का निर्माण, धर्मशाला, एवं पार्किंग आदि अनेको कार्य इसमें शामिल है | इस पूरे निर्माण के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि प्राकृतिक सौन्दर्यकरण के साथ कोई छेड़ छाड़ ना की जाए | इस पूरे प्रोजेक्ट को मशहूर आर्किटेक्ट अनूप बरतरिया ने डिज़ाइन किया | इसके उपरांत वर्तमान मुख्यमन्त्री श्री अशोक गहलोत द्वारा भी अपने शासन काल में मंदिर विकास हेतु अपना भरपुर सहयोग दिया है।

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गौशाला निर्माण

गौशाला का संचालन न र व र आश्रम सेवा समिति द्वारा किया जा रहा है , जिसकी स्थापना चौबे जी ने की। इस गौशाला में 150 गाय है और इसके साथ ही यहाँ राज्य सरकार द्वारा पशु चिकित्सालय स्थापित है

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बाबा निर्मल दास जी महाराज स्थल

मंदिर में प्रवेश से पहले भू स्थल में स्थित है | इस प्रवचन स्थल के मध्य में बाबा निर्मल दास जी की स्वनिर्मित आकृति है जो राधे लाल चौबे जी ने स्थापित करवाया था | इस पावन जगह पर अनेको धार्मिक अनुष्ठान एवं भजन होते हैं|

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अद्भुत है मंदिर का इतिहास
  • 1961 में न र व र आश्रम सेवा समिति
  • 1976 में पहला अन्नकूट महोत्सव
  • 1977 में मदन मोहन मंडल की प्रथम पदयात्रा
  • 1984 से हनुमान जी के दाईं ओर अखंड रामायण का पाठ
  • 1984 में हनुमान जी की मंदिर छत का निर्माण
  • 16 दिसंबर 1991 को सियाराम मंदिर का शिलान्यास
  • 1993/1994 में आयुर्वेदिक औषधालय की स्थापना
  • 8 जून 1997 को राम दरबार की प्राणप्रतिष्ठा
  • 31 जनवरी 1999 में गणेश जी की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा
  • 8 जुलाई 2003 को जलाशय का लोकार्पण
  • 30 मई 2006 को गायत्री माता जी की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा
  • 2014 में वैष्णो देवी मंदिर का जीर्णोद्धार कर उसको नया रूप दिया गया
  • अन्नपूर्णा मंदिर 3 जून 2017 को स्थापना
  • राधेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिंग स्थापना 9 जुलाई 2014
  • गंगा माता की स्थापना गंगा दशमी 2008
  • नृत्य गणेशजी की स्थापना 31 जनवरी 1999
  • सत्संग भवन की स्थापना 5 मार्च 2019
  • वैद विद्यालय का प्रारम्भ
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तेजा जी मंदिर का निर्माण

इस मंदिर को चौबे जी ने 1996 में बनवाया था। यहां एक विशाल सर्प प्रकट हुआ था जिसने कुछ समय बाद अपना शरीर त्याग दिया था, इस पर चौबे जी ने शाही ढंग से उसकी चक ढोल निकलवाकर यहां तेजा जी का मंदिर बनवाया

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गीता भवन एवं श्री राधे लाल चौबे जी महाराज

पूर्व में यहां गीता आश्रम नाम से इमारत बनी हुई थी जो कि जीर्ण शीन हो गई थी | जुलाई 2018 में न र व र आश्रम सेवा समिति ने इस भवन के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया, और मात्र एक साल से भी अल्प समय में मनोरम भवन का निर्माण करवाया | मार्च 2019 में साधु संतो एवं विद्वनो ने इसके लोकर्पण में भाग लिया |

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24 घंटे प्रज्वलित धुना

यह प्राचीन अखण्ड धूना कबसे है इसका किसी को अंदेशा नहीं | राधे लाल जी जब यहां पहली बार आए थे जब कोई साधु धुना जला गए थे, जब से चौबे जी ने इसको अनवरत प्रज्वलित रखा था | यह एक ऐसा स्थान है जहाँ गाय के गोबर एवं चिकनी मिट्टी का लेप होता है| लकड़ी की छत से निर्माण हो रखा है|

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चौबे जी के ब्रहम्लीन होने के उपरांत श्री गिरधारी लाल शर्मा के नेतृत्व/मार्गदर्शन में समिति के कार्य

निष्काम कर्मयोगी ब्रह्मलीन श्री चौबे जी के त्याग, तपस्या की तपोस्थली आज भी उनके आदर्शों के कारण एक प्राकृतिक रमणीक तपोस्थली के रूप में विश्व विख्यात है, चौबे जी के ब्रहम्लीन होने के उपरांत उनके आभा मंडल के विचारों को मूर्त रूप देने में समिति अध्यक्ष श्री गिरधारी लाल शर्मा, तभी से चौबे जी की प्रेरणा, आशीर्वाद को अपने मन मस्तिष्क में संजोय एक कुशल नेतृत्व के साथ समिति के सदस्यो, मंदिर कर्मचारियों व भक्तजनो के सहयोग से अपनी पूर्ण ईमानदारी,निष्ठा, निर्भीकता और निष्काम भाव से मंदिर विकास के लिए अनवरत प्रयास रत है|

  • वर्ष 2010-11 में अनंत श्री विभूषित ब्रह्मलीन श्री चौबे जी महाराज की छतरी का निर्माण कर प्रतिमा स्थापित कर 10 जनवरी 2011 को खोजीजी द्वाराचार्य ब्रह्मपीठाधीश्वर श्री नारायण दास जी महाराज के कर कमलों से लोकार्पण किया गया।
  • वर्ष 2011-12 में श्री हनुमान जी महाराज की चौथी और पांचवी मंजिल पर कटहरे का निर्माण कराया गया।
  • वर्ष 2012-13 में श्री सियाराम जी महाराज के मंदिर पर 61 फुट ऊंचाई का मार्बल शिखर का निर्माण कराया गया।
  • रसोईगृह में 90-32 फुट के विशाल हॉल का निर्माण कराया गया।
  • श्री चौबेजी महाराज की स्मृति में संग्रहालय कक्ष बनाकर उनकी उपयोगी वस्तुओं को संग्रह कर संग्रहालय में रखा गया
  • वर्ष 2013 से 2016 में श्री प्रेम भाया मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ कर भव्य मंदिर का रूप दिया गया
  • वर्ष 2013-17 में श्री राधेशवर शिवालय की स्थापना की गई और उसमें द्वादश ज्योतिर्लिंग शिवालयों की प्रतिष्ठा कराई गई ।
  • वर्ष 2014-15 में श्री सियाराम जी मंदिर में पहुंचने को सीढ़ियों पर फाइबर लगाया गया
  • वर्ष 2014 से 2017 में जयपुर विकास प्राधिकरण के पार्किंग स्थल के ऊपर 10 रसोइयों तथा यात्रियों के ठहरने को रसोइयों के ऊपर 10 बड़े कक्षों का निर्माण कराया गया
  • पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराने को प्राधिकरण ने 2 लाख लीटर की क्षमता का उच्च जलाशय का निर्माण कराया
  • श्रीराम गौशाला और धोबी घाट के बीच में कारों को खड़ी करने के लिए पार्किंग स्थल का निर्माण कराया गया
  • वर्ष 2014 से 16 में पहाड़ी शिखर पर वैष्णो माता के मंदिर का जीर्णोद्धार कर विकास किया गया
  • श्रीराम गौशाला में 130-25 फुट में चारा संग्रह करने को गोदाम बनाया गया
  • वर्ष 2015 में श्री सियाराम जी महाराज के पीछे नीचे के कक्ष को वेद विद्यालय के छात्रों के आवासीय कक्ष में परिवर्तित किया गया
  • वर्ष 2016-17 में रसोई गृह के ऊपर 500 दर्शनार्थियों को एक साथ प्रसादी पाने को 90-62 फुट आकार में हॉल का निर्माण कराया गया
  • वर्ष 2016 से 18 में अन्नपूर्णा माता का मंदिर का निर्माण करने को संत गण के कर कमलों से दिनांक 18 जनवरी 2017 को शिलान्यास
  • 3 जून 2017 को अन्नपूर्णा मां की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई
  • वर्ष 2017-18 में श्री तेजाजी के पास गांवों से आने वाले यात्रियों को पृथक से रसोई बनाने तथा प्रसादी पाने के लिए 65 गुना 26 फुट का टीन शेड लगाया गया और उसमें पानी, बिजली पंखे आदि की सुविधा उपलब्ध कराई गई
  • दुकान नंबर 11 से 17 के पीछे सुसज्जित महिला और पुरुष शौचालय का निर्माण कराया
  • वर्ष 2018 19 में श्री सियाराम जी महाराज के पीछे हॉल को वेद विद्यालय के छात्रों के लिए आवासीय कक्षो में परिवर्तित किया गया
  • वर्ष 2018-19 में श्री गीता भवन व श्री राधेलाल जी चौबे महाराज सत्संग भवन का संतगण महानुभावों के कर कमलों से
  • दिनांक 21-7-2018 को शिलान्यास और 5 मार्च 2019 को लोकार्पण कराया गया
  • 2019-20 में श्री गीता भवन व श्री राधे लाल जी चौबे महाराज सत्संग भवन में संलग्न ही आवासीय गृह का निर्माण कराया गया।
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